मंगलवार, 7 सितंबर 2021

फिल्‍मी संसार - 3 अशोक कुमार




चित्र - गुगल से साभार

लेख का अंश... हिंदी फिल्मों के आरंभिक दौर के नायकों में अशोक कुमार एक ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने प्रचलित पारसी थियेटर के संस्कारों को ताक पर रखते हुए अपने सहज अभिनय के दम पर स्टारडम खड़ा किया। उन्होंने अपने आपको कभी भी एक ही छवि में बँधने नहीं दिया। दिलचस्प है कि शुरूआती दौर में फिल्मजगत में मौजूद रहने के बावजूद अशोक कुमार अभिनय करने के पक्ष में नहीं थे। इसलिए उन्हें जब जीवन नैया फिल्म में अभिनय करने का मौका मिला तो उन्होंने बड़े ही बेमन से काम किया। दरअसल अशोक कुमार की रूचि फिल्म जगत के तकनीकी पक्ष में थी और वे उसी में सफलता प्राप्त करना चाहते थे। किंतु किस्मत उन्हें अभिनय के क्षेत्र में ले ही आई और वे उस क्षेत्र में ऐसे आगे बढ़े कि बढ़ते चले गए। आज उन्हें हम अशोक कुमार एवं दादामुनि के नाम से जानते हैं। उनके अभिनय सफर की जानकारी इस लेख के माध्यम से सुनकर प्राप्त करते हैं…


फिल्‍म संसार - 2 दिलीप कुमार


चित्र - गुगल से साभार

लेख का अंश... दिलीप कुमार हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 मे विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो की 22 वर्ष की थीं। 1980 मे कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी। वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य है। उनकी पहली फिल्म 'ज्वार भाटा' थी, जो 1944 मे आई। 1949 मे बनी फिल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फिल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार और देवदास जैसी फिल्मो मे दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म मे उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 मे रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 मे गंगा-जमुना फिल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया। 1998 मे बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी। उन्होने रमेश सिप्पी की फिल्म शक्ति मे अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला। दिलीप कुमार के बारे में अन्‍य जानकारी  प्राप्‍त कीजिए ऑडियो की मदद से...


फिल्‍म संसार - 1 - देव आनंद




चित्र - गुगल से साभार



लेख के बारे में... बॉलीवुड में लगभग छह दशक से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले देव आनंद को अदाकार बनने के ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था. उनका जन्म 26 सिंतबर 1923 को पंजाब के गुरदासपुर में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. देव आनंद ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की शिक्षा 1942 में लाहौर के मशहूर सरकारी कॉलेज में पूरी की. वह इसके आगे भी पढ़ना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने साफ शब्दों में कह दिया कि उनके पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं और अगर वह आगे पढ़ना चाहते हैं तो नौकरी कर लें. फिल्म 'हम एक हैं' से बतौर अभिनेता देव आनंद ने अपने सिने करियर की शुरूआत की. 1948 में प्रदर्शित फिल्म 'जिद्दी' देव आनंद के फिल्मी कैरियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी के साथ ही उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और नवकेतन बैनर की स्थापना की. नवकेतन के बैनर तले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म अफसर का निर्माण किया जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने चेतन आनंद को सौंपी. गुरूदत्त के निर्देशन में बनी फिल्म बाजी की सफलता के बाद देव आनंद फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर अभिनेताओं की लिस्ट में शुमार हो गए. देव आनंद के बारे में अन्‍य जान‍कारियाँँ प्राप्‍त कीजिए ऑडियो की सहायता से...


शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

छत्तीसगढ़ी कहानी - कुछ करनी-कुछ करमगति




कहानीकार - बंधु राजेश्वर खरे
छत्तीसगढ़ की माटी की सुगंध ही अलग है। इसमें समाया है ग्रामीण जीवनशैली और संस्कृति का कभी न खत्म होनेवाला सौंधापन। इसी की एक झलक देखिए और सुनिए इस छत्तीसगढ़ी कहानी में...





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