कभी फुरसत में...

सोमवार, 7 नवंबर 2022

बाल कहानी - अकबर-बीरबल और चार मूर्ख


 

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कहानी - अनामिका


 

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कविता - इस बार


 

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कहानी - कॉम्पलीकेशन


 

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हारे नहीं हैं हम अभी...

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जीवन संघर्ष करते हुए सफलता का पर्याय बने लोगों से साक्षात्कार लेकर बनी उनकी जीवंत कहानियों का समावेश

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मेरे बारे में

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भारती परिमल
एक हिंदी शिक्षिका होने के कारण मैँ मानती हूँ कि ‘‘जब तक विचारों को शब्द के साँचे में न ढाला जाए, आत्मा बेचैन रहती है। बेचैनी दूर करने के लिए कुछ ऐसा लिखना होता है, जो दिल को सुकून देता हो। एक बार आँसू साथ छोड़ दें, पर शब्द हमेशा साथ देते हैं। इसलिए शब्दों से दोस्ती कीजिए और विचारों की गहराई तक इन्हें अपने साथ रखें।” साथ ही अपनी रूचि को पूरा करने के लिए दिन के चौबीस घंटों में से 25 वाँ घंटा हमें खुद ही निकालना होता है। यही होता है फुरसत का दौर… इस दौर की शुरूआत करने का एक प्रयास है – ब्लॉग् – कभी फुरसत में… bhartiparimal@gmail.com
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

ब्लाॅग के बारे में...

इस दौड़ती-भागती ज़िंदगी में हर कोई भाग रहा है, दौड़ रहा है। कभी मंजिल की तलाश, तो कभी मंजिल को पाने। मंजिल मिलने पर भी सफ़र खत्म नहीं होता, नई मंजिल की ओर कदम बढ़ने लगते हैं। जब अपनों के लिए ही समय नहीं है, तो खुद के लिए समय निकालना तो बहुत ही मुश्किल है। ऐसे में दौड़ते-भागते कभी तो… मन करता है... बहुत हो चुका, अब कुछ देर ठहरते हैं। अपनों से बातें करते हैं, खुद से बातें करते हैं। झाँकते हैं अपने भीतर, तलाशते हैं खुद को और गुजारते हैं अपने साथ जुड़े कुछ पलों को। ‘कभी फुरसत में…’ ब्लॉग इसी सोच का साकार रूप है। आप भी कभी फुरसत में बैठिए इस साहित्य के कालीन पर… अनेक साहित्य विधाओं से सजा है, फुरसत का यह रंगबिरंगा कालीन। कई जाने-माने साहित्यकारों की प्रसिद्ध रचनाओं की ऑडियो रिकॉर्डिंग का आनंद भी आप यहाँ ले सकते हैं। दरअसल ‘कभी फुरसत में…’ ब्लॉग और ‘संवेदनाओं के पंख / दिव्यदृष्टि’ ब्लॉग दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

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