शनिवार, 5 जून 2021

पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब


आवाज की दुनिया के दोस्तों, एक नई बाल कविता के साथ मैं आपके साथ हूँ। बच्चों का अपना एक संसार होता है। नादानी एवं मासूमियत से भरा अनोखा संसार। वे इस संसार से बाहर निकलकर अपने अनुभव से ही दुनिया देखना चाहते हैं। हमारी रूनझुन भी ऐसी ही है। तो आइए जानते हैं उसके बारे में...





रात रुनझुन ने देखा ख्वाब,

खेलोगे-कूदोगे बनोगे नवाब,

पढ़ोगे-लिखोगे होगे खराब।

बस फिर क्या था,

सुबह हुई वह मम्मी से बोली,

मुझको स्कूल नहीं जाना है,

पार्क में जाकर खूब मौज उड़ाना है।

सुनकर रुनझुन की अनोखी बात

मम्मी हो गई हैरान।

बात ये कैसे तुम्हारे मन में आई,

क्या बिना पढ़े किसी ने मंजिल पाई?

रुनझुन बोली –

सपने में मैंने सच-सच देखा है,

पढ़-लिखकर खराब होने का मजा मैंने चखा है।

अब नहीं मुझे पढ़ना है,

मौज मस्ती में ही रहना है।

खेल-कूद कर नवाब मैं बन जाऊँगी,

फिर सात समंदर पार उड़ जाऊँगी।

मम्मी ने लाख समझाया,

पर रुनझुन की समझ में न आया।

सपने को ही सच माना,

कॉपी-किताब से दूर जाने का ठाना।

आई परीक्षा पास में,

रुनझुन बैठी हरी-हरी घास में।

कोई सवाल हल न कर पाई,

पेपर देख आई रुलाई।

रिजल्ट जब सामने आया,

फूट-फूट कर रोना आया।

सारे फ्रेंड्स पहुँचे अगली क्लास में,

रुनझुन रह गई पिछली ही क्लास में।

तब उसकी समझ में आया, मैंने अपना समय गँवाया।

सपने झूठे भी होते हैं, और अपने सच्चे ही होते हैं।

मम्मी-पापा, टीचर का कहना जो माना होता,

दोस्तों का साथ न छूटा होता। दुख न इतना ज्यादा होता।

टुनटुन, मुनमुन, चुनचुन उसकी नई सहेली है,

रुनझुन ने हल कर दी उनकी भी यही पहेली है।

प्यार से वह कहती है –

खेलोगे-कूदोगे होओगे खराब,

पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब।

यही सच है, इससे पूरे होंगे सारे ख्वाब।


रूनझुन की एक और सहेली है मीना, उसके बारे में जानकारी लेनी है, तो उसके लिए आपको ये ऑडियो सुनना होगा। तो आनंद लीजिए रूनझुन और मीना की भावनाओं का इस आँडियो के माध्यम से...


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