तुम बड़े खुश थे
उस औरत की कामयाबी से
जो तुम्हारी कुछ भी नहीं लगती थी
तुम्हारी चहक ने याद दिलाया
कभी मैं भी ‘कुछ’ थी
और
तुम रीझ गए थे मेरे ‘कुछ’ होने पर ही
सोचा….
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने का आनंद लीजिए,
ऑडियो की मदद से…
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