गुरुवार, 10 जून 2021

कविता - आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी




चित्र : गुगल से साभार

दुनियां में बादशाह है सो है वह भी आदमी।

और मुफ़्लिसो गदा है सो है वह भी आदमी॥

जरदार बेनवा है, सो है वह भी आदमी।

नैंमत जो खा रहा है, सो है वह भी आदमी॥

टुकड़े चबा रहा है, सो है वह भी आदमी॥1॥

नज़ीर अकबराबादी की रचना आदमीनामा अपने ज़माने की मशहूर रचना तो है ही लेकिन आज के हालात में भी ये अपनी सच्चाई को बयां करती है। 

इस रचना का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से... 


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