बुधवार, 9 जून 2021

कविता - ज़िंदगी...



थोड़ी-सी तू अस्त-व्यस्त है,

फिर भी

जिंदगी तू जबर्दस्त है।

तेरी बाँहों में खुशियाँ अलमस्त हैं

और गम का भी उदय-अस्त है,

जिंदगी तू जबर्दस्त है।

कभी लहरों-सी इठलाती मदमस्त है

कभी वीराने-सी खामोश वक्त-बेवक्त है

जिंदगी तू जबर्दस्त है।

कभी डूबती-उतराती,

कभी झूमती-बलखाती,

तू कमबख्त है

जिंदगी तू जबर्दस्त है।

तुझमें है खिलते चमन कभी,

तो कभी उजड़े दरख्त है,

जिंदगी तू जबर्दस्त है।

इस कविता का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...

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