रविवार, 6 जून 2021

फुरसत के पल...



फुरसत के दिन होंगे

फुरसत की होंगी रातें

ऐ चाँद उतर आना धरती पर

करेंगे मिलकर हम-तुम बातें

 

चरखा कातती बूढ़ी नानी-दादी भी होंगी

ले आना उनको साथ अपने

सुनकर कहानी उनसे

हम भी बुन लेंगे कुछ सपने

 

झिलमिल तारों की चुनर ओढ़कर आना

साथ उनके अपना आँगन है सजाना

घटाओं के संग उड़ते-उड़ते

सीधे आना मेरे घर की छत पर

लेटकर हरियाली धरती पर

तुम भी निहारना नीला अंबर

 

बादलों का सिरहाना लेते आना

चाँदनी की चादर भूल न जाना

गप्पों की बस्ती के हम दोनों होंगे मीत

एक-दूजे से मिलकर रचेंगे नए गीत

 

यूँ ही यादों में समा जाएँगी कई रातें

ऐ चाँद उतर आना धरती पर

करेंगे मिलकर हम-तुम बातें


इस कविता का आनंद लीेजिए, ऑडियो की मदद से...


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