लहरों की तरह
दिल से टकराती रहीं यादें,
तूफान ही उठाती रहीं यादें।
जब तक दूसरों के लिए जिएँ,
मुस्कराती रहीं यादें।
खुद के लिए जीने की कोशिश में,
हर पल रूलाती रहीं यादें।
कभी भरी महफिल में तनहा थे,
और आज तन्हाई में,
महफिल की हर सदा,
गुनगुनाती रहीं यादें।
परायों को अपना
समझने की भूल की थी,
अपनों में परायेपन का दर्द,
सारी उम्र परोसतीं रहीं यादें।
हर मोड़ पर तड़पाती तो थी ही,
अब साथ मेरे,
पल-पल सिसकती रहीं यादें।
लहरों की तरह
दिल से टकराती रहीं यादें।
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