गुरुवार, 1 जुलाई 2021

कविता - ऐ खुशी...


चित्र : गुगल से साभार

ऐ खुशी…

फिर से आना मेरी ज़िंदगी में,

खनकती चूड़ियों की तरह,

झनकती पायल की तरह,

झिलमिल बिंदिया की तरह,

और सजा देना मुझे नई दुल्हन की तरह।

ऐ खुशी…

फिर से आना मेरी ज़िंदगी में

बरसना मेघ मल्हार की तरह,

सजना गर्म रातों में सितारों की तरह,

बहना सर्द हवाओं की तरह,

और सजा देना मुझे नए मौसम की तरह।

ऐ खुशी…

फिर से आना मेरी ज़िंदगी में

नई सौगात, नए स्वपन की तरह,

नई उमंग, नए उत्साह की तरह,

नई ग़ज़ल, नए गीत की तरह,

और सजा देने मेरे पल-पल को

नए वर्ष की नई बेला की तरह।

ऐ खुशी…

इस कविता का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...

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