मंगलवार, 26 जुलाई 2022

कविता - घास की हरी पत्तियों में








चित्र : गूगल से साभार

घास की हरी पत्तियों में


छिपी हुई पगडंडियाँ थीं


जिन पर हम चलते थे।


हम चाहते थे कोई साँप हमें डस ले


मगर हर साँप चौंककर रास्ता छोड़ देता था


मृत्यु हर बार जीने का एक  मौका देती थी


और हम जिए चले जाते थे


अपने लिए कम


दूसरों के लिए ज्यादा


हम खुश दिखते थे


क्योंकि....

इस अधूरी कविता को पूरा सुनने का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...


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