शनिवार, 10 सितंबर 2022

कविता - उस दिन...


 

बाल कहानी - नीतू बुलबुल



 

बाल कहानी - एक था चूजा






 

बाल कहानी - रेगिस्तान की खुशी




 

बाल कहानी - बादल और झरना




 

आलेख - राधा की पाती... कान्हा के नाम




 

बाल कहानी - परी की कहानी




 

बाल कहानी - ईश्वर से मुलाकात


 

कहानी - सागर की इला


 

बाल कहानी - तीन राजकुमार


 

बाल कहानी - बादल परी का जन्मदिवस


 

कहानी -पंडित जी ने पकड़ा पतंगा


 

प्रेरक कहानी - व्यापारी और उसकी चार पत्नियाँ


 

एक शिक्षक की पाती


 

कहानी - वेदना से संवेदना


 

शनिवार, 3 सितंबर 2022

कविता - ओ कलयुगी बादल






 

प्रेरक कहानी - सच्चा हीरा

कविता - मुलाकात


मुलाकात

 

चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं

बैठ कर फुरसत में बातें दो-चार करते हैं।

उम्र का इक मोड़ वो भी था

न कोई ज़रूरत थी, न कोई जरूरी था

न रोने की वजह थी, न हँसने का बहाना था

बड़ा ही खूबसूरत वो बचपन का ज़माना था

आज उम्र के इस मोड़ पर

उसी ज़माने से आँखें चार करते हैं

हिदायतों की देहरी लाँघकर

मस्तियों से मुलाकात करते हैं

बैठ कर फुरसत में बातें दो-चार करते हैं।

 

नादान बचपन खुली आँखों में ही

सपने हजार भर लेता था

शरारतों की कूचियों से ही

उनमें रंग बेशुमार भर लेता था

मौसमी बारिश में

डूबती-उतराती कागज़ की कश्तियों में

गरमागरम भुट्‌टों और पकौड़ों का दौर

गुलज़ार कर लेता था

छीना-झपटी और नोंक-झोंक की

भूली-बिसरी गलियों से मुलाकात करते हैं

बैठ कर फुरसत में बातें दो-चार करते हैं।

 

रूठना-मनाना, पेड़ों पर झूलों की पेंगे बढ़ाना

छिपना-छिपाना, मिट्‌टी के घरोंदे तोड़ना-बनाना

नानी-दादी को घेर कर कहानियों का चौपाल सजाना

यादों के इन गोलगप्पों में

हँसने-हँसाने, रोने-रूलाने का

खट्‌टा-मीठा पानी भरते हैं

सी-सी कर खाने और

आँख-नाक से पानी टपकाने की

वो ठेलों की तीखी-चटपटी शाम याद करते हैं

एक बार फिर पुराने अलबम के साथ

अधपके बालों और उभरती झाइयों के साथ

नटखट बचपन से मुलाकात करते हैं

बैठ कर फुरसत में बातें दो-चार करते हैं।

 



 

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 11

कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा




चित्र : गूगल से साभार


‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।

इस कृति का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...


खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 10

कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा




चित्र : गूगल से साभार


‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।

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खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 9

कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा



चित्र : गूगल से साभार

‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।

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खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 8

कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा



चित्र : गूगल से साभार

‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।

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खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 7

कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा



चित्र : गूगल से साभार

‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।


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खंडकाव्य - रस द्रोणिका - भाग - 6

 कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा




चित्र : गूगल से साभार

‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।

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