कवि - आचार्य श्री रामशरण शर्मा
चित्र : गूगल से साभार
‘रस द्रोणिका’ खंडकाव्य एक ऐसी कृति है, जिसमें एक ऐसा पात्र के संघर्षमयी जीवन का शाश्वत एवं जीवंत वर्णन किया गया है, जो आगे चलकर समाज, देश, काल एवं इतिहास में अपना प्रभुत्व स्थापित करता है। जो भावी पीढ़ी के लिए एक सबक है कि जब जब किसी राजा या शक्तिशाली व्यक्ति ने कर्म एवं समाज के पथ-प्रदर्शक गुरु का अपमान किया है, तब-तब आचार्य द्रोण और चाणक्य जैसे महामानव का प्रादुर्भाव हुआ है। जिसने ऐसे उद्दंड, स्वार्थी व्यक्ति से समाज और देश को मुक्ति दिलाई है। आचार्य श्री रामशरण शर्मा द्वारा रचित यह एक अनुपम कृति है।
इस कृति का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...
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