नदिया चले, चले रे धारा तुझको चलना होगा… इस गीत को फिल्म सफर में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर के साथ फिल्माया गया था। कल्याणजी आनंदजी के संगीत में यह गीत तैयार हुआ था और इसे मन्ना डे ने गाया था। गीत के बोल लिखे थे – इंदिवर ने। हिंदी के सरल शब्दों से सजा ये गीत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है। भारतीय फिल्म संगीत में मांझी गीतों की अपनी खूबसूरती रही है। मन्ना डे ने मांझी गीतों को बहुत तन्मयता से गाया है। खासकर बंगाल की पृष्ठभूमि में ऐसे मांझी गीत उभर कर आए हैं। इस गीत में मांझियों की जिंदगी की कहानी है। सुबह सूरज उगने से पहले उन्हें अनंत समुद्र की धाराओं में आगे बढ़ना होता है। जिंदगी का यह सफर कहीं रुकता नहीं है। दूर सागर में नाव खेते मांझी, घर की यादें, लहरों से खेलते मांझियों को पुकार को इंदीवर ने महसूस किया और यह अप्रतिम गीत रच दिया। ऐसा गीत जिसमें गहरा जीवन दर्शन समाया हुआ है।
आलेख, स्वर एवं प्रस्तुति - भारती परिमल गीतकारी में आप सुनेंगे गीतों के आकार लेने की प्रक्रिया की कहानी। वे गीत जिसे हम कभी दर्द के स्वर में तो कभी खुशाी के अंदाज में गाते हैं, गुनगुनाते हैं। कुछ अनसुने तो कुछ दिल में उतरे तराने और उन तरानों से जुड़ी दिलचस्प बातों का संग्रह है गीतकारी।
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