चित्र : गुगल से साभार
शुक्रवार, 2 जुलाई 2021
गुरुवार, 1 जुलाई 2021
कविता - चाहत
चित्र : गुगल से साभार
मैं चाहती हूँ
धूप को अपनी
बाँहों में ले लूँ
और हवाओं की
थपकियाँ देकर
सुला दूँ उसे
बादलों के
बिछौने पर
कुछ देर तो ठहर सकूँ
चाँद के गाँव में
घनी जुल्फें बिखराऊँ
चाँदनी की छाँव में
वहाँ सितारों का
मेला लगा है
और हर सितारे में
जुल्फों के जंगल से गुजरकर
इंद्रधनुष तक पहुँचने की
होड़ मची है
बीच में मुस्कान की पगडंडियाँ भी
पार करनी है उन्हें
और केवल मैं ही
साक्षी बनना चाहती हूँ
इन सुखद क्षणों की
इसलिए धूप को
बादल के बिछौने पर सुलाकर
कोहरे की चादर ओढ़ाकर
लगा लिए हैं उम्मीदों के पंख
उड़ चली हूँ नीलगगन में।
इस कविता का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...
कविता - ऐ खुशी...
चित्र : गुगल से साभार
ऐ खुशी…
फिर से आना मेरी ज़िंदगी में,
खनकती चूड़ियों की तरह,
झनकती पायल की तरह,
झिलमिल बिंदिया की तरह,
और सजा देना मुझे नई दुल्हन की तरह।
ऐ खुशी…
फिर से आना मेरी ज़िंदगी में
बरसना मेघ मल्हार की तरह,
सजना गर्म रातों में सितारों की तरह,
बहना सर्द हवाओं की तरह,
और सजा देना मुझे नए मौसम की तरह।
ऐ खुशी…
फिर से आना मेरी ज़िंदगी में
नई सौगात, नए स्वपन की तरह,
नई उमंग, नए उत्साह की तरह,
नई ग़ज़ल, नए गीत की तरह,
और सजा देने मेरे पल-पल को
नए वर्ष की नई बेला की तरह।
ऐ खुशी…
इस कविता का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...
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