आलेख - भक्ति की निर्मल धारा.... संत कबीर
चित्र : गूगल से साभार
कबीरा खड़ा बाजार में, माँगे सबकी खैर
ना काहूँ से दोस्ती, ना काहूँ से बैर
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। गोस्वामी तुलसीदास को छोड़कर इतना महिमामंडित व्यक्तित्व कबीर के सिवा अन्य किसी का नहीं है। वैसे भी भारत संतों और भक्तों की भूमि मानी जाती है। यहाँ वेदों की ऋचाएँ गूँजती हैं। ऋषि-मुनियों और तपस्वियों की मीठी वाणी की पावन जलधारा बहती है। हमारा भारतीय साहित्य महान संतों के विचारों से भरा हुआ है। कबीर संत कवि और संत, कवि और समाज सुधार थे। ये सिकन्दर लोधी के समकालीन थे । कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदास भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति में से किसी की भी चर्चा कबीर के बिना अधूरी ही रहेगी।
काशी के इस अक्खड़, निडर एवं संत कवि के जन्म को लेकर अनेक किवदंतियाँ प्रचलित है। कुछ लोगों के अनुसार....
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