कविता - एक चिट्ठी पिता के नाम
चित्र : गूगल से साभार
पिता ! मेरे जन्म की खबर सुनाती
दाई के आगे जुड़े हाथ
क्यों हैं अब तक
जुड़े के जुड़े
मुझे लेकर क्यों नहीं उठाते
गर्व से अपना सिर
क्यों हो जाते हो
जरूरत से ज्यादा विनम्र
एक तनाव की पर्त गहरी होती
देखी है मैंने...
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने का आनंद लीजिए,
ऑडियो की मदद से...
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